सोमवार, 15 सितंबर 2014

हिन्दी के क्षेत्र में सम्मान का सैकड़ा


आज के दौर में प्रशासनिक सेवा में रहकर राजभाषा हिंदी के विकास के लिए चिंतन मनन करना अपने आप में एक उपलब्धि है। राजकीय सेवा के दायित्वों का निर्वहन और श्रेष्ठ कृतियों की सर्जना का यह मणिकांचन योग विरले ही मिलता है। समकालीन साहित्यकारों में उभरते चर्चित कवि, लेखक एवं चिंतक तथा जौनपुर जिले के बरसठी विकास खंड के सरावां गांँव निवासी और मौजूदा समय में डाक निदेशक इलाहाबाद परिक्षेत्र कृष्ण कुमार यादव इस विरले योग के ही प्रतीक हैं। श्री यादव को इसके लिए अब तक 102 बार सम्मान व मानद उपाधियाँ प्राप्त हो चुकी हैं। 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य देश भारत के पास अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला, पर आधुनिक दौर में हर व्यक्ति अंग्रेजी की ओर भाग रहा है। खासकर प्रोफेशनल और सरकारी नौकरियों में अंगे्रजी को महत्वपूर्ण अंग के रूप में लिया जा रहा है। ऐसे में श्री यादव लोगों को बताते हैं कि कक्षा छह से ही हिंदी के सहारे मंजिल पाने का सपना देखना शुरू किया। इस सपने को साकार कराने में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव का विशेष योगदान रहा है। जिसकी बदौलत उन्हें वर्ष 2001 में सिविल सेवा में सफलता मिली। इसके बाद तमाम पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के साथ ही उन्होंने ब्लाॅगिंग के सहारे हिंदी के विकास के लिए कार्य करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी जीवन संगिनीआंकाक्षा यादव और पुत्री अक्षिता (पाखी) भी लेखन ब्लाॅगिंग में सक्रिय हो गईं। परिणाम रहा कि तीन पीढि़यों संग हिन्दी के विकास में जुटे कृष्ण कुमार यादव को 102 बार हिंदी के विकास हेतु विभिन्न सम्मान व मानद उपाधियांँ प्राप्त हुई। 

दो बार मिला अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर पुरस्कार

हिंदी के विकास में जुटे डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव  को उत्कृष्ट कार्य के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सम्मानित कर चुके हैं।  उन्होंने 'अवध सम्मान’ से श्री यादव को नवाजा था। लखनऊ में आयोजित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर सम्मलेन में ’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दंपती’ का सम्मान श्री यादव को प्रदान किया गया। इसके अलावा काठमांडू में हुए तृतीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लाॅगर सम्मेलन में नेपाल के संविधान सभा के अध्यक्ष नरसिंह केसी ने उन्हें  ’परिकल्पना साहित्य सम्मान’ दिया था।

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हिन्दी के क्षेत्र में सम्मान का सैकड़ा
तीन पीढि़यों संग हिन्दी के विकास में जुटे हैं डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव
102 बार मिल चुका है पुरस्कार और मानद उपाधियाँ
(साभार : दैनिक जागरण, जौनपुर-वाराणसी संस्करण, 15 सितंबर, 2014) 

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