मंगलवार, 29 जुलाई 2014

अभावों के बीच पूनम यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता कांस्य


मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।।

ये पंक्तियां एकदम सही बैठती हैं वाराणसी की 19 वर्षीया पूनम यादव पर। अभावों के बीच पली-बढ़ी पूनम यादव ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में देश का झंडा ऊंचा किया हैं। उन्होंने भारोत्तोलन में महिलाओं के 63 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा का भार उठाकर कांस्य पदक जीता है। भारत का 20वें राष्ट्रमंडल खेलों की इस प्रतियोगिता में सातवां पदक है। उन्हें नाईजीरियाई खिलाड़ी ओबियोमा ओकोली और ओलेयुवाटोयिन अदेसनमी सेे कड़ी टक्कर मिली। दोनों एथलीटों ने  पांच किलो अधिक का वजन उठाया और क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किया।

 पूनम के सपनों को पूरा करने के लिए गरीब परिवार ने भी अपना  सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। गरीब पिता ने अपनी आमदनी का साधन दोनों भैंसें तक बेच दी और पूनम की दोनों बहनों ने पूनम की जिंदगी में ये दिन देखने के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं को त्याग दिया। पूनम के पिता कैलाश यादव  बेटी की इस जीत से काफी उत्साहित हैं। वह बताते हैं कि 2011 में जब पूनम ने खेलना शुरू किया था तो  धीरे-धीरे वह जिला, मंडल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने लगी। उन्होंने बताया कि कॉमनवेल्थ की तैयारी में आर्थिक परेशानियां भी सामने आने लगीं। पूनम के खेल और उसके डाइट के लिए दो भैसों को बेच दिया गया। परिवार ने भूखे रहकर पूनम को मौका दिया। छोटा सा खेत है, उसी से किसी तरह परिवार का गुजारा होता है। साथ ही, पूनम को सारी सुविधाएं देने की कोशिश जाती हैं। 

कहते हैं आगे बढ़िए तो रास्ते  स्वमेव खुलते जाते हैं। गरीबी और लाचारी से जूझ रहे परिवार की मदद एक साल पहले एक स्थानीय नेता सतीश फौजी ने की थी। उन्होंने बताया कि पूनम के पिता से उनकी मुलाकात एक संत के यहां हुई थी। उनके घर की परेशानी सुनकर उन्हें काफी तकलीफ हुई। ऐसे में उनकी बेटी की सारी जिम्मेदारियां उन्होंने खुद पर ले ली। उन्होंने बताया कि थाईलैंड एशियाड में सिलेक्शन के पहले उसकी डाइट पर हर महीने 25,000 रुपए खर्च होते थे। ऐसे में उन्होंने उसे अपनी बेटी मानकर उसकी सारी जरूरतें पूरी की। वह चाहते हैं कि वह देश के लिए मेडल जीते। साथ ही, अपने परिवार का नाम रोशन करे।

बड़ी बहन किरण यादव ने बताया कि पहले जब घर में भैंसे थी, तो पूनम ही उनकी देखभाल किया करती थी। हालांकि, गरीबी के चलते भैंस भी बिक गए। उम्मीद है कि घरवालों की मेहनत और कुर्बानी रंग लाएगी। उनकी बहन देश के लिए मेडल जरूर जीतेगी। वहीं, चाचा गुलाब यादव बताते हैं कि उसके पिता ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बेटी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। दोनों भाई भी भगवान से बहन की जीत की कामना करते रहते थे।  

पूनम का प्रोफाइल

1. नाम: पूनम यादव
2. गांव: क्राइस्ट नगर
3. पिता: कैलाश यादव (किसान)
4. पढ़ाई: बीए, थर्ड ईयर (परीक्षा छूट गई)
5. भाई-बहन: चार बहनें दो भाई
बड़ी बहन किरण यादव, शशिलता यादव, शशि, पूनम, पूजा। छोटे भाई आशुतोष यादव और अभिषेक यादव (नेशनल  हॉकी प्लेयर)
6. कैटगरी: वजन 63 Kg महिला वर्ग
7. मेडल: एशियाड 2014 में सिल्वर मेडल, सीनियर नेशनल 2014 में सिल्वर मेडल

वाकई सोना तप कर ही खरा होता है।  पूनम की इस होनहार उपलब्धि पर हम सभी को गर्व है !!

- राम शिव मूर्ति यादव @ यदुकुल : www.yadukul.blogspot.com/
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वाकई सोना तप कर ही खरा होता है।  पूनम की इस होनहार उपलब्धि पर हम सभी को गर्व है !!



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