शनिवार, 1 जून 2013

फन अगर मुकम्मल है तो बोलती हैं तस्वीरें


यदुकुल ब्लॉग : राधा यादव जब आजमगढ़ के संजरपुर गांव में सुभाष चंद्र यादव की धर्मपत्नी बनकर आईं तो वह महज आठवीं पास थीं लेकिन अपने जुनून की बदौलत आज वह न केवल परास्नातक पास हैं, बल्कि बेटे-बेटियों से भरे घर में आदर्श मां भी। उनके कठिन मेहनत का ही नतीजा रहा कि सभी बच्चों ने अपने कैरियर को बेहतरीन बनाया। 

राधा यादव खुद कस्तूरबा गांधी बालिका इण्टर कालेज, बदलापुर में वार्डन के रूप में तैनात हैं। राधा के श्वसुर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 कल्पनाथ यादव उन्हें ‘परफेक्ट  वूमेन‘ कहते हैं। कहें भी क्यों न, खुद को काबिल बनाकर अपनी संतानो को  समुचित मार्ग दर्शन से योग्य बनाने वाली महिला जो ठहरीं। उन्होंने ’फन अगर मुकम्मल है बोलती  हैं तस्वीरें......पंक्ति को अपने जीवन में चरितार्थ किया। उनकी मेहनत व लगन का परिणाम है कि सबसे बड़ी बेटी शुभ्रा एम.बी.ए. करके टाटा कन्सल्टेन्सी सर्विसेज (टीसीएस) हैदराबाद में तैनात है। वहीं दूसरी बेटी श्वेता ने वर्ष 2012 में आई.ए.एस. परीक्षा में 609वीं रैंक पाकर परिवार का नाम रोशन किया। मां  की प्रेरणा और दो बहनों की मेहनत देख, तीसरी बेटी अंकिता लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। सबसे छोटा बेटा अभिनव नेशनल इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलाजी, रायपुर से बी.टेक कर रहा है। 


1 टिप्पणी:

Bhanwar Singh ने कहा…

Behatrin Parichay karaya..Achhe kary ki sarvatra charcha hoti hai.