सोमवार, 28 सितंबर 2009

विजयदशमी की शुभकामनायें ***

***विजयदशमी की शुभकामनायें ***
जीवन के हर मोड़ पर आप विजयी हों और अन्याय की पराजय हो.

शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

सुरेखा यादव के जज्बे को सलाम !!

23 सितम्बर, 2009 को राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी ने उत्तर प्रदेश की सुरेखा यादव को अपने हाथों से पुरस्कृत किया. सुरेखा यादव के दोनों पैर काम नहीं करते।, फिर भी वो हाथों के बल चल कर लोगों को साक्षर बना रही हैं। 'यदुकुल' उनकी इस जीवटता को प्रणाम करता है और उनकी हिम्मत की दाद देता है !!

बुधवार, 16 सितंबर 2009

लोक संस्कृति की प्रतीक मड़ई

मड़ई का 2008 का अंक, उस श्रृंखला की नवीनतम कड़ी है जिसका आरंभ 14 नवंबर, 1987 को हुआ था। छत्तीसगढ़ में यदुवंशी लोग कार्तिक मास की एकादशी (जिस दिन देव जागते हैं और तुलसी विवाह का पर्व भी मनाया जाता है) से आगामी पंद्रह दिवसों तक अतिविशिष्ट लोक नृत्य करते हैं जो ‘राउत नाचा‘ के नाम से विख्यात है। ‘मड़ई‘ के संपादक डाॅ0 कालीचरण यादव सन् 1978 से कोतवाली के प्रांगण में राउत नाचा को व्यवस्थत रूप से आयोजित करने का कार्य अपने संयोजकत्व में कर रहे थे ताकि यादवों की ऊर्जा का रचनात्मक उन्नयन हो सके। सन् 1987 में जब इस आयोजन को वृहत्तर रूप देने की आवश्यकता अनुमत हुई और आयोजन स्थल लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय के प्रांगण को बनाया गया तभी ‘स्मारिका‘ के रूप में ‘मड़ई‘ का प्रकाशन भी आरंभ हुआ।

पहले अंक में कुल 35 लेख थे जिनमें से 31 लेख रावत नाच पर केंद्रित थे। आरंभ में रावत नाच का सांगोपांग निरूपण करना ही ‘मड़ई‘ का उद्देश्य था जो कि आगामी कुछ वर्षों तक बना रहा। फिर जल्दी ही इस पत्रिका ने स्वयं को आश्चर्यजनक गहराई और विस्तार देना आरंभ किया। यदुवंशियों की संस्कृति के ‘लोक पक्ष‘ का परिचय देने के बाद छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित करते हुए ‘मड़ई‘ पूरे देश की लोक संस्कृति संबंधी ज्ञान का कोश बन गयी। देश के विभिन्न लोकांचलों के लोक साहित्य, लोक कला और लोक संस्कृति पर अधिकारी विद्वानों और लेखकों के लिखे सरस और तथ्यपूर्ण लेखों का हिंदी में प्रकाशन कर ‘मड़ई‘ने सामासिक लोक संस्कृति का विकास किया है और हर तरफ से राष्ट्र एवं राष्ट्रभाषा की अनूठी उपासना की है।

आज का समय एक ऐसा समय है जब लोक ही लोक के विरूद्ध युद्धरत है। लोक मानस में ‘प्रेय‘ निरंतर ‘श्रेय‘ को विस्थापित कर रहा है। ‘लोकतत्व‘, ‘लोकप्रिय‘ के द्वारा प्रतिदिन नष्ट और पराभूत किया जा रहा है। ‘लोक-समाज‘ का स्थान ‘जन-समाज‘ ने लगभग ले लिया है। जन-समाज की विडंबनाओं का चित्रण करते हुए टाॅक्केविले ने लिखा है- ‘सभी समान और सदृश्य असंख्य व्यक्तियों की एक ऐसी भीड़ जो छोटे और तुच्छ आनंद की प्राप्ति के लिये सतत प्रयासरत है..... इनमें से प्रत्येक एक-दूसरे से अलग रहता है और सभी एक-दूसरे के भाग्य से अनभिज्ञ होते हैं। उनके समस्त मानव संसार की कल्पना उनकी संतानों और निजी मित्रों तक सीमित होती है। जहां तक अन्य नागरिकों का प्रश्न है वे उनके नजदीक अवश्य हैं पर उन्हें जानते नहीं, वे परस्पर स्पर्श करते हैं पर एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील नहीं हैं।

वैश्वीकरण का हिरण्याक्ष पृथ्वी का अपहरण कर विष्ठा के परकोटे के भीतर उसे रखने हेतु लिये जा रहा है। ‘मड़ई‘ इस अपहृत होती हुई पृथ्वी के लोक जीवन के नैसर्गिक-सामाजिक सौंदर्य की गाथा है। वह वराह-अवतार को संभव करने वाला मुकम्मल आह्नान भले न हो पर एक पवित्र और सुंदर अभिलाषा तो जरूर है। हमारी स्मृतियों में तो नहीं, पर ‘मड़ई‘ जैसी विरल पत्रिकाओं में यह लोक जीवन दर्ज रहेगा। ऐसा इसलिए कि लोकसंस्कृति से दूर जाना ही स्मृतिविहीन होना है। ‘मड़ई‘ के ‘स्मारिका‘ होने का शायद यही संदर्भ है। मड़ई सर्वथा निःशुल्क वितरण के लिए है। इसका मूल्य आंका नहीं जा सकता।
(साभार : इण्डिया न्यूज, 12-18 सितम्बर 2009)

सोमवार, 14 सितंबर 2009

हिन्दी में है दम

हिन्दी के प्रति मुलायम सिंह यादव का मोह जगजाहिर है। बात चाहे कम्प्यूटर और अंग्रेजी थोपने के विरोध की हो या फिर हिन्दी-उर्दू में नेमप्लेट लगवाने की, मुलायम सिंह काफी सख्त रहे हैं। उनके मुख्यमंत्री-कार्यकाल के दौरान यह बखूबी देखने को भी मिलता रहा है। 15वीं लोकसभा चुनाव के दौरान जारी सपा के घोषणा पत्र में इसका जिक्र होने पर काफी विवाद भी पैदा हुआ था। पर मुलायम सिंह अपनी बात पर अडिग भी हैं और होना भी चाहिए। स्वयं मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भी हिन्दी को संपर्क भाषा बनाने पर जोर दिया है।

संसद में भी मुलायम सिंह का हिन्दी प्रेम जाहिर होता रहता है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते होंगे जब 15 जुलाई, 2009 को मुलायम सिंह ने लोकसभा मे हिन्दी के पक्ष में ऐसा माहौल बनाया कि कई गैर हिन्दी क्षेत्रों के सांसदों ने भी हिन्दी का दामन थाम लिया। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने जब लखनऊ और नोएडा में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से संबंधित मुलायम सिंह के एक सवाल का जवाब अंग्रेजी में देना शुरू किया तो मुलायम सिंह ने उनसे कहा, ‘जयराम जी, आपका नाम भी हिन्दी वाला है और आप हिन्दी जानते हैं। सवाल का जवाब हिंदी में दीजिए। यह लंदन नहीं लोकसभा है।‘

अभी हाल ही में दिल्ली में जलवायु परिवर्तन से जुड़े विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी मुलायम सिंह के हिन्दी प्रेम का असर दिखा, यद्यपि इसमें स्वयं मुलायम सिंह शामिल नहीं थे। इस संगोष्ठी में चूंकि दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्कों के प्रतिनिधि भी थे लिहाजा सम्मेलन की स्वाभाविक भाषा अंग्रेजी ही थी लेकिन केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अचानक हिन्दी में बोलना शुरू कर दिया तो आयोजक अचकचा गए। उन्हेंने अनुरोध किया कि मंत्री जी अंगे्रजी में बोलें, इस पर जयराम ने हंसते हुए खुलासा किया कि जब से मुलायम सिंह यादव ने संसद में उन्हें हिन्दी में न बोलने के लिए टोका है तब से वह हर जगह हिन्दी में ही बोलते हैं ताकि मुलायम सिंह या उन जैसा कोई हिन्दी प्रेमी नाराज न हो।..........अब तो मुलायम सिंह का हिन्दी प्रेम मानना ही पड़ेगा। केन्द्र सरकार उन्हें भले ही नाराज कर दे पर हिन्दी के नाम पर मुलायम सिंह को नाराज करना शायद इतना आसान नहीं है।

शनिवार, 12 सितंबर 2009

स्पोर्ट्स के क्षेत्र में नाम कमाते यदुवंश

यदुवंश में होनहारों की कमी नहीं है। अभी पिछले दिनों हमने इस ब्लाग पर तैराकी में पाँच स्वर्ण जीतने वाली प्रियंका यादव का जिक्र किया गया था। हाल ही में राष्ट्रपति महोदया ने वर्ष 2009 के लिए सुशील कुमार को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न से और गिरधारी लाल यादव (पाल नौकायन) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है। पूर्व टेस्ट खिलाड़ी शिव लाल यादव के पुत्र अर्जुन यादव का चयन डेक्कन चार्जस (हैदराबाद) में किया गया। हाल ही में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की ओर से घोषित अंडर-19 महिला खिलाड़ियों के लिए आगरा की पूनम यादव को कप्तान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा कानपुर की शुभांगी यादव एवं आगरा की प्रेमलता यादव को भी इस टीम में चुना गया है। यदुकुल की तरह से इन सभी को शुभकामनायें कि वे राष्ट्र का नाम रोशन करें।

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

अब डिम्पल यादव !!

अन्ततः मुलायम सिंह ने अपने परिवार से पहली बार किसी महिला को राजनीति में उतारने का मन बना ही लिया। अखिलेश यादव द्वारा छोड़ी गई फिरोजाबाद सीट पर हो रहे लोकसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह की बहू एवं अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव सपा से चुनाव लड़ेंगी। राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली तथा दो बेटियों और एक बेटे की माँ डिम्पल यादव की शिक्षा-दीक्षा लखनऊ में हुई है। गौरतलब है कि इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में राजबब्बर के लड़ने की घोषणा पहले ही हो चुकी है। कभी राजबब्बर मुलायम सिंह के बहुत करीबी लोगों में शामिल थे, पर वक्त ने दोनों को आमने-सामने खड़ा कर दिया। कांच की चूड़ियों के लिए मशहूर फिरोजाबाद में डिम्पल यादव की उम्मीदवारी घोषित होते ही लोगों की निगाहें इस सीट पर जम गईं हैं। न सिर्फ सपा बल्कि मुलायम सिंह व अखिलेश यादव की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ी हुई है। यादव बाहुल्य फिरोजाबाद लोकसभा में 13,71,000 मतदाताओं में सर्वाधिक 3,62,000 यादव मतदाता हैं। फिलहाल हमारी शुभकामनायें डिम्पल यादव के साथ हैं और आशा है कि वे न सिर्फ युवाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी बल्कि उनके आने से युवा महिलाओं को भी तरजीह मिलेगी।

बुधवार, 2 सितंबर 2009

यादवी राजनीति बनाम मुलायम-लालू

पिछले महीने आगरा में समाजवादी पार्टी का विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन तीन दिनों तक चला। खूब भाषण हुए। कांग्रेस और बसपा दोनों निशाने पर। लेकिन मीडिया का फोकस रहा समाजवादी चोले में रंगे कल्याण सिंह पर और फोटोग्राफरों ने सबसे ज्यादा फ्लैश चमकाया-सिनेस्टार व रामपुर से सांसद जयाप्रदा के चेहरे पर। इन सब के बीच जमीनी कार्यकर्ताओं की नजर उन बंबइया चेहरों केा तलाश रही थी जिन्हें पार्टी ने लोकसभा चुनाव में गाजे-बाजे के साथ टिकट दिया था। मसलन मुन्ना भाई यानी संजय दत्त। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं लेकिन राष्ट्रीय अधिवेशन में नजर नहीं आए। भोजपुरी स्टार एवं गोरखपुर से सांसदी का चुनाव लड़े मनोज तिवारी भी नदारद। पता किया गया तो मालूम चला कि दोनों शूटिंग में व्यस्त हैं। बचीं लखनऊ से प्रत्याशी बनाई गईं नफीसा अली, तो वह भी नहीं आईं। उनके बारे में तो लोग बोल रहे हैं कि कंाग्रेस से फिर रिश्ते जोड़ने में लगी हैं। पार्टी वाले नाहक नहीं पूछ रहे हैं कि इन मौसमी चेहरों को टिकट और पद से नवाजने का क्या फायदा। उधर अमर सिंह सिंगापुर में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं, पर भारतीय राजनीति उन्हें करवटें नहीं बदलने दे रही है। हर दिन प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रानिक चैनल पर उनके बयान आ रहे हैं। कई बार तो मीडिया ऐसे पेश आता है मानो अमर सिंह समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा हों और मुलायम सिंह पार्टी के महासचिव। इसे मीडिया की खुराफात कहें या मुलायम सिंह की मजबूरी। फिलहाल जो भी हो यादवों के नाम पर राजनीति करने वाले मुलायम सिंह यादव लोकसभा चुनावों से कोई सबक लेने को तैयार नहीं दिखते। उधर उनके पुत्र अखिलेश यादव भी युवाओं पर कोई जादू करने में असफल रहे। विधान सभा उपचुनावों में करारी हार इसी का परिणाम है। सबसे रोचक तथ्य तो यह है कि उधर सपा का विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा था, दूसरी तरफ विधानसभा चुनावों में वे शिकस्त का सामना कर रहे थे। निश्चिततः यह समय है मुलायम सिंह के आत्मविश्लेषण एवं चिंतन का। एक ऐसा चिंतन जो सतही न हो, चाटुकारों के बीच न हों एवं ग्लैमर की चासनी में सजा न हो।

लालू प्रसाद यादव का हाल भी बहुत अच्छा नहीं है। कभी लोकसभा में 22 सीटें लाने वाले लालू यादव इस बार केवल 4 सीटें ही जीत पाये। उन्हें कोई मंत्रालय भी नहीं मिला, जिसकी तड़प अब भी बरकरार है। पर लालू यादव के साथ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे मीडिया-फेस हैं और गाहे-बगाहे चर्चा में बने रहते हैं। फिलहाल उनकी समस्या यह है कि उन्हें लोसभा में फ्रंट रो की सीट छोड़नी पड़ेगी और उनकी पाटी्र के आफिस के लिए फस्र्ट फ्लोर से हटाकर थर्ड फ्लोर पर जगह दिए जाने की संभावना है, क्योंकि लोकसभा का नियम है कि यदि 10 से कम सीटें किसी पार्टी की आती हैं तो उस पार्टी को कार्यालय के लिए जगह थर्ड फ्लोर पर ही मिलती है। फिलहाल लालू प्रसाद इस मुसीबत से बचने का जुगाड़ ढूढ़ने में लगे हुए हैं। काश ऐसी ही मेहनत वे जनता के बीच जाकर करते तो शायद यह दिन उन्हें न देखना पड़ता।

मंगलवार, 1 सितंबर 2009

शरद यादव दूसरी बार बने जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष

शरद यादव को 31 अगस्त को दूसरी बार जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। पार्टी की नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शरद यादव के सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की घोषण की गई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बनाए गए निर्वाचन अधिकारी सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव ने शरद यादव को अध्यक्ष पद पर निर्वाचित किए जाने की औपचारिक रूप से घोषणा करते हुए बताया कि शरद यादव के अलावा किसी और की ओर से नामांकन दाखिल नहीं किया था। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी की सरकार बनने के कुछ महीने बाद अप्रैल 2006 में पटना में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में शरद यादव पहली बार जद यू0 के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में महत्वपूर्ण विभागों को सुशोभित कर चुके 62 वर्षीय शरद यादव वर्तमान में मधोपुरा से लोकसभा सदस्य हैं। गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव अभी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। यदुकुल की तरफ से शरद यादव को हार्दिक बधाई !!