गुरुवार, 13 नवंबर 2008

यादवी संस्कृति को बिखेरता 32वां राऊत नाच महोत्सव सम्पन्न

बिलासपुर में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 32वां राऊत नाम महोत्सव 7 नवबर को रंगारंग कार्यक्रमों के बीच सम्पन्न हुआ। जिसमें प्रदेश भर के अलग-अलग क्षेत्रों से आये हुए राऊत नर्तक दलों ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक सद्भाव एवं लोक संस्कृति के इस अनोखे पर्व में रंग-बिरंगी पारंपरिक वेशभूषाओं में सज कर बेजोड़ संगीतमय प्रस्तुतियां दी।
इस अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमर अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यादव समाज ने भगवान कृष्ण के प्रेम का संदेश घर-घर पहुंचाने का कार्य किया है। बिलासपुर की यह परम्परा निरंतर कायम रहनी चाहिये। अग्रवाल ने कहा कि 32 वर्ष पहले बिलासपुर में डॉ। कालीचरण यादव एवं बी.आर. यादव ने जो शुरूआत की थी। सारे देश में लोक संस्कृति का ऐसा अभूतपूर्व दृश्य शायद ही कहीं नजर आता हो। इस परम्परा को हमेशा कायम रखा जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि यादव समाज भगवान कृष्ण के वंशज हैं। यदुवंशियों की पूजा कर लीजिये भगवान कृष्ण की पूजा हो जायेगी। कार्यक्रम में उपस्थित कृषि, पशुपालन मत्स्यपालन, श्रम विभाग के मंत्री चंद्रशेखर साहू ने कहा कि बिलासपुर में यादव समाज का यह राऊत महोत्सव प्रदेश का एक अलग पहचान बनाता है। इसके लिये उन्होंने यदुवंशियों को धन्यवाद दिया। प्रदेश भर से आये हुए नर्तकदलों को यहां अपने कला-कौशल के प्रदर्शन के साथ-साथ उसे निखारने का मौका मिलता है। उन्होंने सरकार द्वारा यादव समाज के लिये क्रियान्वित की जा रही योजनाओं का उल्लेख किया और बताया कि किसानों को डेयरी व्यवसाय के लिये तीन प्रतिशत ब्याज दर पर एक लाख रुपये का ऋण दिया जायेगा।
कार्यक्रम में सांसद चरणदास महंत एवं पूर्वमंत्री बी.आर. यादव ने भी संबोधित किया। इसके पूर्व अतिथियों को पारम्परिक वेशभूषा पहनाकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में यादव समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को राऊत नाच महोत्सव छात्रवृत्ति राशि, प्रमाण पत्र, पुरस्कार वितरण एवं लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रिका "मड़ई 2009'' का विमोचन किया गया।कार्यक्रम में डॉ. कालीचरण यादव, उमाशंकर यादव, भुवनेश्वर यादव, कृष्ण कुमार यादव सहित यादव समाज के पदाधिकारी, आयोजन समिति के सदस्यगण, गणमान्य नागरिक तथा प्रदेश भर से आये हुए राऊत नर्तक उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: